मेरी कृति
मेरी अभिव्यक्ति हिंन्दी में
30.6.06
सोने मत देना
सपनीली आँखों को
सोने मत देना ।
एहसासों की नदियों को
कल्पना की नहरों को
इस दुनियाँ के सागर में
जीवन के झमेलों में
रंग - बिरंगे मेलों में
संघर्ष के खेलों में
खोने मत देना ।
सपनीली आँखों को
सोने मत देना ।
-सीमा
९ जनवरी, १९९७
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