Orkut गुलज़ार ग्रुप पर लिखी 'त्रिवेणी'
विषय : नींद
नींद से बोझिल आँखें
आँखों में एक ख्वाब
ख्वाबों का है सिलसिला, सच भी ख्वाब सा लगता है
- सीमा कुमार
२३ मई २००६
**************************
विषय (आखिरी पंक्ति के लिये) : धुआँ मेरी आँखों में आग का नहीं
आँच बहुत है चूल्हे में रोटियों के लिए मगर
लाल आँखें देख आग का प्रतिबिंब मत समझना
धुआँ मेरी आँखों में आग का नहीं !
- सीमा कुमार
८ अगस्त २००६
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
प्रकृति और पंक्षियों को अर्पित मेरी कृति
प्रकृति और पंक्षियों को अर्पित - वस्त्रों ( टी-शर्ट्स ) के लिए मेरी कृति : वीडियो - प्रकृति और पंक्षियों से प्रेरित डिज़ाइन: और पढ़ें ... फ...
-
कविता संग्रह ‘पराग और पंखुड़ियाँ’ अब फ्लिपकार्ट और इन्फीबीम पर उपलब्ध मेरी कविता संग्रह ‘पराग और पंखुड़ियाँ’ अब फ्लिपक...
-
बाल-उद्यान पर सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर . यह तस्वीरें पिछले साल की हैं जब हम अलवर और सरिस्का घूमने गए थे. कुछ तस्वीरें मेरे अंग्रेज़...
-
हिन्दी कविता-संग्रह “ पराग और पंखुड़ियाँ ” का पुस्तक विमोचन राष्ट्रीय फैशन टेक्नोलॉजी संस्थान, चेन्नई, में मनाए जा रहे हिन्दी पखवाड़ा के...
3 टिप्पणियां:
"धुआँ मेरी आँखों में आग का नहीं" ??
बहुत खूब !
धुआँ मेरी आँखों में आग का नहीं....nice one...
एक टिप्पणी भेजें