tag:blogger.com,1999:blog-21768640.post114175505781374526..comments2023-09-20T12:02:33.790-04:00Comments on मेरी कृति: होली की शामDr. Seema Kumarhttp://www.blogger.com/profile/16605133497857832550noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-21768640.post-1141842301552513242006-03-08T13:25:00.000-05:002006-03-08T13:25:00.000-05:00समीर जी, बहुत धन्यवाद | गाँव की होली,गाँव की मस्ती...समीर जी, <BR/><BR/>बहुत धन्यवाद | <BR/><BR/>गाँव की होली,<BR/>गाँव की मस्ती<BR/>और कहाँ मिल पाएगी |<BR/>शहरों में अब<BR/>सभ्य हुए हम<BR/>मिट्टी कहाँ मिल पाएगी |<BR/><BR/>कभी कभी अपने गाँव में होली मनाने का मौका मिला था इन श्बदों में उन्हीं की याद है | और वास्तव में हम तथाकथित आधुनिक एवँ सभ्य लोगों की होली में वो बात एवँ वो आनंद कहाँ जो गाँव की होली में मुझे मिली थी |Dr. Seema Kumarhttps://www.blogger.com/profile/16605133497857832550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-21768640.post-1141759010857020352006-03-07T14:16:00.000-05:002006-03-07T14:16:00.000-05:00वाकई, जैसे जैसे होली पास आ रही है...मुझे भी गाँव क...वाकई, <BR/><BR/>जैसे जैसे होली पास आ रही है...<BR/>मुझे भी गाँव की बहुत याद आ रही है...<BR/>आपकी कविता ऎसा अहसास करा रही है...<BR/>जैसे वो मेरे गालों पे रंग लगा रही है...<BR/><BR/>बहुत सुंदर..बधाई.<BR/><BR/>समीर लालUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com