आज
शब्दों-छन्दों की दुनिया ने
फिर से मुझे पुकारा है /
जिन्दगी जो बाकी है
तो आँखों में सपने
अभी और भी हैं /
फिर से राहें कहती हैं
आओ,
कदम बढाओ,
पाने को मंजिलें
अभी और भी हैं /
मंजिलें जो हासिल हैं
वहाँ से शुरू होते
नई मंजिलों की ओर
रास्ते अभी और भी हैं /
- सीमा कुमार
२४ जनवरी, २००६
31.1.06
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2 टिप्पणियां:
सीमाजी आपका स्वागत है हिंदी ब्लाग जगत में।
धन्यवाद अनूप जी |
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