बचपन से कुछ न कुछ लिखती रही हूँ । जब लिखा तब अपने मन से लिखा .. किसी उद्देश्य को लेकर शायद ही कभी लिखा । कहीं प्रकाशित करने के उद्देश्य से भी नहीं लिखा । हाँ, धीरे-धीरे, समय के साथ औरों के साथ बाँटने लगी ।
एक आम इंसान की तरह, ज़िदगी की कश्मकश और अलग-अलग रास्तों तथा अनुभवों से गुजरते हुए, मन में जब तरह-तरह के भाव उठते हैं, संवेदनाएँ होती हैं, सवाल उठते हैं, और यह सभी सशक्त होते हैं और उन्हें अभिव्यक्त करने की इच्छा होती है, तो उन्हें शब्दों में ढ़ालने की कोशिश करती हूँ । कागज - कलम और शब्द, यह अभिव्यक्ति का माध्यम बन जाते हैं ।
परंतु लिखने के बाद कई बार कई सवाल भी उठ खड़े होते हैं ... एक बहुत आम सा सवाल है "कविता क्या है ?"
हर चीज की सुंदर अभिव्यक्ति, छंदो से सुसज्जित रचना ही क्या कविता है ? क्या लिखते समय भावों के प्रवाह से अधिक आवश्यक रचना की रूप-रेखा, उसकी साज-सज्जा, या लेखन के नियम-कानून पर ध्यान देना है ? कविता की सार्थकता किस बात में होती है ? लिखने का क्या उद्देश्य होना चाहिए, या क्या आवश्यक है कि किसी उद्देश्य ही को लेकर लिखा जाए ?
कविता का तो अधिक नहीं पता, परंतु चित्रकला में अभिव्यक्ति अलग-अलग तरीकों से करता है कलाकार । कभी कोई चित्र अमूर्त (abstract) होता है, कोई यथार्थवादी, तो कोई प्रतीकात्मक या सांकेतिक । सबका अपना अलग महत्व है मेरी समझ से और सबका अपना अलग सौंदर्य भी है ।
कविता क्या है यह सोचते हुए मैंने कई बार कुछ न कुछ लिख भी डाला है, जैसे एक है "शब्द-जाल" और कुछ और भी को यहाँ प्रकाशित नहीं हैं। औरों के विचार भी पढे हैं । कुछ यहाँ लिख रही हूँ जो मुझे अच्छे या विचारनीय लगे ।
"न तो साहित्य का बड़ा ज्ञाता हूँ, न ही कविता की भाषा को जानता हूँ, लेकिन फ़िर भी मैं कवि हूँ, क्यों कि ज़िन्दगी के चन्द भोगे हुए तथ्यों और सुखद अनुभूतियों को, बिना तोड़े मरोड़े, ज्यों कि त्यों कह देना भर जानता हूं । "
सालों पहले किसी अखबार का एक पन्ना अब भी मेरे पास है जिसमें वीरेन्द्र सिंह जी कुछ पंक्तियाँ लिखते है 'नये तराने' में :
"कविता नारा-कथा-गद्द-इतिहास नहीं है कविता कोरा व्यंग्य हास परिहास नहीं है यह है तरल प्रवाह सत्य के भाव पक्ष का वशीभूत होता जिससे जड़ भी समक्ष का कविता जो मन के ऋतु का परिवर्तन कर दे कभी स्नेह तो कभी आग अंतर में भर दे ! " आप में से कोई बता सकें तो बताएँ, कोई जवाब दे सकें मेरे सावालों का तो दें । जैसा कि आपको अब तक महसूस हो ही गया होगा कि मैं निरंतर बहुत सारे सवालों के जवाब ढ़ूँढ़ती रहती हूँ और आपलोग कुछ मदद कर सकें तो आभारी रहूँगी ।