28.2.06

विमान

बनाया होगा
इंसान ने
चाँद पर
उतरने के लिए
कोई विमान
पर
क्या कभी
किसी इंसान ने
बनाया है
कोई ऐसा विमान
जो
इंसान के ही
मन की
गहराई में
उतर सके ?

–सीमा
28 अप्रैल, 1995
स.

26.2.06

कैसे लिखूँ

कैसे लिखूँ कुछ
आज शब्द मानो
पंख लगा
उड़ जाते हैं ।
भागूँ जब मैं
पीछे उनके
किसी अनजान दिशा
मुड़ जाते हैं ।

- सीमा
28 नवम्बर, 1994

15.2.06

ज़िन्दगी के रंग

ज़िन्दगी कभी-कभी
कहीं खत्म सी हो जाती है,
कहीं थम सी जाती है
और फिर कहीं
शुरू हो जाती है /

कहीं उमड़ जाती है
कहीं मचल जाती है
कहीं रेत के बवन्डरों सी
उड़ती चली जाती है /

कहीं हरे-हरे पत्तों पर पडी़
बरखा की बूँदों सी
झिलमिलाती जाती है /
कहीं ठंढी हवाओं सी
बस छू कर चली जाती है /

यूँ ही बदलती रूप रंग
ज़िन्दगी चली जाती है /
थाम ले जिस पल को
वही बस अपना है ;
बाकी की ज़िन्दगी रेत-सी
यूँ ही फिसल जाती है /

- सीमा
१४ अप्रैल, २००४.
सि.

10.2.06

आदमी

अपने आप को बहुत कम
जनता है आदमी /
जो है वह भी अकसर
नहीं मानता है आदमी /

- सीमा
२४ जून, १९९५
ब.व.

6.2.06

ख्वाब

लोग
ख्वाबों से हक़ीकत
बुनने की कोशिश करते हैं /

मैं अकसर कोशिश करती हूँ
हक़ीकत में
ख्वाबों को ढूँढ सकूँ /

- सीमा
६ फरवरी, २००६

प्रकृति और पंक्षियों को अर्पित मेरी कृति

प्रकृति और पंक्षियों को अर्पित - वस्त्रों ( टी-शर्ट्स ) के लिए मेरी कृति : वीडियो - प्रकृति और पंक्षियों से प्रेरित डिज़ाइन:  और पढ़ें ... फ...