तुम्हारे और मेरे बीच
आँसुओं का रिश्ता है,
दर्द की एक डोर है
जो बाँधे हुए है
हम दोनों को /
दर्द से सभी डरते हैं,
सभी दूर भागते हैं
फिर भी
जाने क्यों
यही दर्द,
यही पीडा
हम दोनों को
जोडे हुए है
एक दूसरे से,
इस समस्त सृष्टी से /
आपस में
छोटे-छोटे दर्द बाँटकर
यह डोर और मजबूत हो जाती है
पर
दर्द से सभी डरते हैं
शायद तुम भी
और मैं भी
तभी आपस में
दर्द का बाँटना
कम होता गया
और हमारे बीच की डोर
हमारे बीच के
फासले को नापती हुई
ज्यों की त्यों
तनी हुई है /
-सीमा
१९ दिसम्बर, १९९६
ब.व.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
प्रकृति और पंक्षियों को अर्पित मेरी कृति
प्रकृति और पंक्षियों को अर्पित - वस्त्रों ( टी-शर्ट्स ) के लिए मेरी कृति : वीडियो - प्रकृति और पंक्षियों से प्रेरित डिज़ाइन: और पढ़ें ... फ...
-
कविता संग्रह ‘पराग और पंखुड़ियाँ’ अब फ्लिपकार्ट और इन्फीबीम पर उपलब्ध मेरी कविता संग्रह ‘पराग और पंखुड़ियाँ’ अब फ्लिपक...
-
बाल-उद्यान पर सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर . यह तस्वीरें पिछले साल की हैं जब हम अलवर और सरिस्का घूमने गए थे. कुछ तस्वीरें मेरे अंग्रेज़...
-
हिन्दी कविता-संग्रह “ पराग और पंखुड़ियाँ ” का पुस्तक विमोचन राष्ट्रीय फैशन टेक्नोलॉजी संस्थान, चेन्नई, में मनाए जा रहे हिन्दी पखवाड़ा के...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें