बहुत दिन हो गए मुझे यहाँ कुछ लिखे । घर में एक-एक कर सभी को बुखार, आफिस और साथ ही अन्य व्यस्तताएँ.. कि सोचती ही रह गई फुर्सत से लिखूँगी । 'फुर्सत' सोचने की भी फुर्सत नहीं मिलती !!
पर मैं लिखती रही हूँ नियमित रूप से कुछ सामूहिक प्रायासों में जो नीचे हैं.. अपनी मूल्यवान राय और टिप्पणियाँ अवश्य दीजिएगा उन्हें पढ़कर ।
मेरी कुछ कविताएँ 'हिन्द-युग्म' पर पर पढ़ी जा सकती हैं :
# अंतर्द्वन्द्व - एक नई कविता..
रोज़ जलाती हूँ खुद को
रोज़ प्रज्वलित
होती है एक आग
इस आशा में -
स्वयं के ही
हवन कुंड में
स्वाहा हो जाऊँ
और उस राख से
पुनर्निमित हो
निकल आऊँ निर्मल मैं
फीनिक्स की तरह ... [पूरा पढें]
# नींद, डर और आँसू
- नींद, डर और आँसू पर अलग-अलग कुछ पंक्तियाँ
आँसू
....
जज़्बात का दरिया है …
जो छलक गई बूँदें
तो एक-एक बूँद
एक तेज़ धार बन जाएगी
और हर बाँध निरर्थक .. [पूरा पढें]
# स्वप्न की डोरी
स्वप्न की अद्भुत डोरी
रोज़ रात
बाँधती है मुझे
बातों में कोरी-कोरी ... [पूरा पढें]
# सफ़र अभी है बाकी
मिलती गई कई मंज़िलें
ऊँचे रहे हम उड़ते
सोने की चिड़िया की फिर भी
बहुत उड़ान अभी है बाकी ... [पूरा पढें]
# पल-दो पल का साथ
यह पल-दो पल का
साथ तुम्हारा
जैसे पवन बसंती का
हौले से छूकर
आनंदित कर जाना ... [पूरा पढें]
# धारा
मैं संयम नहीं हूँ ,
भावनाओं की धारा हूँ ।
मैं प्रीति हूँ,
दुनिया की रीति नहीं हूँ ... [पूरा पढें]
'बाल-उद्यान' एक नया सामूहिक प्रयास है अन्तरजाल पर बच्चों को हिन्दी से जोड़ने का । यदि आपके आसपास बच्चे हैं तो उन्हें 'बाल-उद्यान' की सैर अवश्य कराएँ और बताएँ कि और क्या किया जा सकता है बच्चों की रूचि को बढ़ाने के लिए ।
यहाँ पर मेरी कुछ रचनाएँ पढ़ी जा सकती हैं :-
# मधुर वचन - दरसल सालों पहले यह मैंने अपने छोटे भाई के लिए लिखी थी ।
केवल सात स्वरों से देखो
कैसे बन जाता है गीत ।
सात स्वरों का संगम मधुर हो
तो सबके मन को लेता है जीत ... [पूरा पढें]
# कुतुब मीनार और लौह स्तम्भ की सैर
- कुछ तस्वीरें हैं जो मैंने कुतुब मीनार की सैर के समय ली थी जिनमें से कुछ यहाँ भी हैं - पर दोनों जगह अलग-अलग हैं ।
थोड़ी सैर आप भी कीजिए कुतुब मीनार की :)पर मैं लिखती रही हूँ नियमित रूप से कुछ सामूहिक प्रायासों में जो नीचे हैं.. अपनी मूल्यवान राय और टिप्पणियाँ अवश्य दीजिएगा उन्हें पढ़कर ।
मेरी कुछ कविताएँ 'हिन्द-युग्म' पर पर पढ़ी जा सकती हैं :
# अंतर्द्वन्द्व - एक नई कविता..
रोज़ जलाती हूँ खुद को
रोज़ प्रज्वलित
होती है एक आग
इस आशा में -
स्वयं के ही
हवन कुंड में
स्वाहा हो जाऊँ
और उस राख से
पुनर्निमित हो
निकल आऊँ निर्मल मैं
फीनिक्स की तरह ... [पूरा पढें]
# नींद, डर और आँसू
- नींद, डर और आँसू पर अलग-अलग कुछ पंक्तियाँ
आँसू
....
जज़्बात का दरिया है …
जो छलक गई बूँदें
तो एक-एक बूँद
एक तेज़ धार बन जाएगी
और हर बाँध निरर्थक .. [पूरा पढें]
# स्वप्न की डोरी
स्वप्न की अद्भुत डोरी
रोज़ रात
बाँधती है मुझे
बातों में कोरी-कोरी ... [पूरा पढें]
# सफ़र अभी है बाकी
मिलती गई कई मंज़िलें
ऊँचे रहे हम उड़ते
सोने की चिड़िया की फिर भी
बहुत उड़ान अभी है बाकी ... [पूरा पढें]
# पल-दो पल का साथ
यह पल-दो पल का
साथ तुम्हारा
जैसे पवन बसंती का
हौले से छूकर
आनंदित कर जाना ... [पूरा पढें]
# धारा
मैं संयम नहीं हूँ ,
भावनाओं की धारा हूँ ।
मैं प्रीति हूँ,
दुनिया की रीति नहीं हूँ ... [पूरा पढें]
'बाल-उद्यान' एक नया सामूहिक प्रयास है अन्तरजाल पर बच्चों को हिन्दी से जोड़ने का । यदि आपके आसपास बच्चे हैं तो उन्हें 'बाल-उद्यान' की सैर अवश्य कराएँ और बताएँ कि और क्या किया जा सकता है बच्चों की रूचि को बढ़ाने के लिए ।
यहाँ पर मेरी कुछ रचनाएँ पढ़ी जा सकती हैं :-
# मधुर वचन - दरसल सालों पहले यह मैंने अपने छोटे भाई के लिए लिखी थी ।
केवल सात स्वरों से देखो
कैसे बन जाता है गीत ।
सात स्वरों का संगम मधुर हो
तो सबके मन को लेता है जीत ... [पूरा पढें]
# कुतुब मीनार और लौह स्तम्भ की सैर
- कुछ तस्वीरें हैं जो मैंने कुतुब मीनार की सैर के समय ली थी जिनमें से कुछ यहाँ भी हैं - पर दोनों जगह अलग-अलग हैं ।
1 टिप्पणी:
वाह जी वाह!! बहुत दिन बाद दिखे मगर बढ़िया दिखे.
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