कहानियाँ पुरानी हो चली
पर यादें पुरानी नहीं होतीं /
दीवारों पर
नए रंग चढ गए हैं,
इमारतें पुरानी हो चली हैं,
पीढ़ियाँ बदल गई हैं
पर इंसानों की
कश्मकश कम नहीं होती /
रंग फीके पड़ते जाते हैं
पर रंगों को
तरो-ताज़ा रखने की
चाहत कम नही होती /
- सीमा कुमार
३१ जनवरी, २००६
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2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर लिखा है।
आपका स्वागत है हिन्दी ब्लाग जगत में।
धन्यवाद | बस एक कोशिश है ...
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