2.5.06

भँवर

रिश्तों का भँवर
और मैं
कागज़ की एक
छोटी सी नाव ।

सीमा
१२ सितम्बर, १९९९

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

क्यों?
छोटी सी क्यों?

अभिनव ने कहा…

पढ़कर अच्छा लगा।

थोड़ी तुक भिड़न्ती कर रहे हैं,

सांसों का सफर,
और हम,
चक्का जाम किए,
नक्सली गांव।

बेनामी ने कहा…

its realy good

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