बादल का एक टुकड़ा आसमान में आकर
मेरी आँखों में अनंत आशाएँ दे गया
तो क्या हुआ जो बादल नहीं, बस आँखें बरसीं
- सीमा कुमार
२४ अगस्त '०६
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3 टिप्पणियां:
वाह! बढ़िया उपमा है!
बढ़ियां है...
वाह .....
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