4.9.06

दो पल

एक पल
जो मेरा है,
एक पल
जो तुम्हारा है,
आओ मिल कर
बाँट लें ।
फिर हम दोनों के
दो – दो पल हो जाएँगे
साथ – साथ ।


– सीमा
11 जून, 1998

1 टिप्पणी:

शैलेश भारतवासी ने कहा…

बहुत खूब सीमा जी,

आप नियमित लिखा करें तो हम जैसे पढ़ने वालों को कुछ मिल जाया करे।

साधुवादॉ

प्रकृति और पंक्षियों को अर्पित मेरी कृति

प्रकृति और पंक्षियों को अर्पित - वस्त्रों ( टी-शर्ट्स ) के लिए मेरी कृति : वीडियो - प्रकृति और पंक्षियों से प्रेरित डिज़ाइन:  और पढ़ें ... फ...