यहाँ कुछ और तस्वीरें हैं १८ मई को निफ्ट दिल्ली के 'फ़ैशनोवा' की जिसे होटल अशोक में आयोजित किया गया था ।
जिस कंपनी में मैं कार्यरत हूँ, उस कंपनी ने एक छात्रा को कपड़े, सुविधाएँ, आदि प्रदान कर प्रायोजित किया था । सो मैं तो इस बार प्रायोजक बनकर फ़ैशन-शो देखने गयी थी अपनी बिटिया के साथ ।
किसी भी कला / डिजाइन पाठ्यक्रम में छात्र-छात्राओं के काम का, कला का प्रदर्शन किया जाता है, 'पोर्टफोलिओ' बनाया जाता है, निफ्ट में भी यह सब होता है । साथ ही फ़ैशन-डिज़ाइनट या किसी भी वस्त्र या परिधान डिजाइन पाठ्यक्रम में उनका प्रदर्शन चलते-फिरते इंसानों के उपर सबसे अच्छी तरह से किया जा सकता है ।
जिस कंपनी में मैं कार्यरत हूँ, उस कंपनी ने एक छात्रा को कपड़े, सुविधाएँ, आदि प्रदान कर प्रायोजित किया था । सो मैं तो इस बार प्रायोजक बनकर फ़ैशन-शो देखने गयी थी अपनी बिटिया के साथ ।
किसी भी कला / डिजाइन पाठ्यक्रम में छात्र-छात्राओं के काम का, कला का प्रदर्शन किया जाता है, 'पोर्टफोलिओ' बनाया जाता है, निफ्ट में भी यह सब होता है । साथ ही फ़ैशन-डिज़ाइनट या किसी भी वस्त्र या परिधान डिजाइन पाठ्यक्रम में उनका प्रदर्शन चलते-फिरते इंसानों के उपर सबसे अच्छी तरह से किया जा सकता है ।
यहाँ प्रदर्शित सारे परिधान आम ज़िन्दगी में पहने जाने वाले हों, यह जरूरी नहीं । कुछ परिधान सिर्फ़ अपनी कल्पना और कलात्मकता दर्शाने कि लिए भी बनाए जाते है । ( जो कि आम तौर पर कई बार विवादास्पद विषय बन जाता है ) ।
छात्र-छात्राओं के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है - सिर्फ़ इसलिए नहीं कि इस दिन उनके काम का, कलात्मकता का प्रदर्शन होता है, बल्कि इसलिए भी कि औपचारिक तौर पर इस दिन उनका पाठ्यक्रम समाप्त हो जाता है । इसके बाद शुरू होता है एक नया सफर .... किसी की नौकरी, कोई व्यवसाय, किसी का स्वतंत्र कार्य । तब शुरू होती है रोजी-रोटी के साथ भीड़ में अपना एक स्थान बनाने के लिए सफर और मेहनत।
4 टिप्पणियां:
जानकारी के लिए शुक्रिया।
इस पाठ्यक्रम का और ब्यौरा भी देंण्ण्अगली पोस्टों में।
शायद आपसे मेरी एक दो बार बात हो चुकी है...messenger पर। परंतु आपका ब्लोग भी है इसका ज्ञान आज ही हुआ। अब आता रहूँगा। :)
बहुत अच्छी लगी तस्वीर और आपकी बिटिया भी…
मुझे याद रखिएगा भविष्य में आपकी आवश्यकता पड़ सकती है… अगर आपको याद होगा तब :)
बढ़िया है तस्वीरें.
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