बहुत दिन हो गए मुझे यहाँ कुछ लिखे । घर में एक-एक कर सभी को बुखार, आफिस और साथ ही अन्य व्यस्तताएँ.. कि सोचती ही रह गई फुर्सत से लिखूँगी । 'फुर्सत' सोचने की भी फुर्सत नहीं मिलती !!
पर मैं लिखती रही हूँ नियमित रूप से कुछ सामूहिक प्रायासों में जो नीचे हैं.. अपनी मूल्यवान राय और टिप्पणियाँ अवश्य दीजिएगा उन्हें पढ़कर ।
मेरी कुछ कविताएँ 'हिन्द-युग्म' पर पर पढ़ी जा सकती हैं :
रोज़ जलाती हूँ खुद को रोज़ प्रज्वलित होती है एक आग इस आशा में - स्वयं के ही हवन कुंड में स्वाहा हो जाऊँ और उस राख से पुनर्निमित हो निकल आऊँ निर्मल मैं फीनिक्स की तरह ... [पूरा पढें]
मैं संयम नहीं हूँ , भावनाओं की धारा हूँ । मैं प्रीति हूँ, दुनिया की रीति नहीं हूँ ... [पूरा पढें]
'बाल-उद्यान' एक नया सामूहिक प्रयास है अन्तरजाल पर बच्चों को हिन्दी से जोड़ने का । यदि आपके आसपास बच्चे हैं तो उन्हें 'बाल-उद्यान' की सैर अवश्य कराएँ और बताएँ कि और क्या किया जा सकता है बच्चों की रूचि को बढ़ाने के लिए ।
यहाँ पर मेरी कुछ रचनाएँ पढ़ी जा सकती हैं :-
# मधुर वचन - दरसल सालों पहले यह मैंने अपने छोटे भाई के लिए लिखी थी ।
केवल सात स्वरों से देखो कैसे बन जाता है गीत । सात स्वरों का संगम मधुर हो तो सबके मन को लेता है जीत ...[पूरा पढें]