जीवन क्या है ?
अमृत का प्याला नहीं
काँटों की माला नहीं,
कष्टों की ज्वाला नहीं,
उल्लास की शाला नहीं,
जीवन तो बस जीवन है ।
आँसू की कुछ बूँदें,
हँसी की कुछ फुहारें,
गीतों का संग्रह,
कभी धीमे, तो कभी तेज
बाजीगरों का करतब,
जीवन तो बस जीवन है ।
सीमा
५ दिसम्बर, १९९६
ब. व.
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2 टिप्पणियां:
Jeevan to bus jeevan hai...well said.
another nice poem:)
Just wandered here, I am a first time visitor to your blog. 'Jeevan to bus jeevan hai..' a good thought, a good poem.
phir vohi sawaal hai, kaun mai, kya zindagi
justjuu vohi justjuu, manzil bhi mai talaash bhi...
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