5.1.07

शुभकामनाएँ

शुभकामनाएँ मेरी -
नव वर्ष के
नव प्रभात में
आशा का स्वर्णिम प्रभाकर
फैला जाए
उल्लास प्रभा ।
शोभायमान हो जाए धरती
उस प्रभाकर की कांति से ।
काली, अंधियारी,
नीरव निशा का
अंश मात्र भी
रहे न बाकी
जब आए प्रत्यूष मनोहर ।


इस नूतन वर्ष में कभी
गति अवरूद्ध न हो
जीवन की;
जीवन -
केवल धमनियों में रक्त
और ह्रुदय में
श्वास का ही नहीं
जीवन कर्म और कर्तव्य का भी,
उद्दम और उत्साह का भी ।


स्वर लेकर नए
यह वर्ष नवीन आए ।
अंत: करण में संगीत जगे,
हर शैल शिखर में गीत जगे,
और धरा के कण-कण में
सभी के लिए
अनुराग जगे ;
नव वर्ष के
नव प्रभात में
आशा के संग
सारा संसार जगे ।


- सीमा
(लिखित : ५ दिसम्बर, १९९७)

6 टिप्‍पणियां:

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

आशाओं के ओस कणों से भोर सदा भरती हो
स्वर्णमयी हर घड़ी आपके पांव तले धरती हो
कचनारों की कलियां बूटे रंगें आन देहरी पर
नये वर्शः की संध्या प्रतिदिन सुधा बनी झरती हो.

राकेश

Udan Tashtari ने कहा…

बढियां है. नव वर्ष की शुभकामनायें. आजकल लिखना कुछ कम हो गया लगता है. थोड़ी रफ्तार तेज की जाये, नये साल में.

अनूप शुक्ल ने कहा…

आपको भी नया साल मुबारक हो! आप इस साल निफ्ट से जुड़े कुछ लेख लिखें। मसलन कैसे निफ्ट में चयन होता है, कैसे कपड़े डिजाइन होते हैं, मास-प्रोड्कशन की तकनीक और डिजाइनर वियर कपड़े बनाने की तकनीकियां कैसे अलग हैं। इस बारे में कोई जानकारी नहीं है अपने हिंदी चिट्ठाजगत में!
http://hindini.com/fursatoya

Dr. Seema Kumar ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Dr. Seema Kumar ने कहा…

राकेश जी, आपकी अति सुंदर पंक्तियों के लिए धन्यवाद ।

समीर जी, मैं खुद चाहती हूँ कि लिख्ने की रफ़्तार तेज हो । आपलोंगो का प्रोत्साहन मिलता रहा तो अवश्य लिखूँगी ।

अनूप जी, आपके सुझाव मुताबिक अवश्य लिखूँगी कुछ न कुछ । वैसे यह चिठ्ठा मैंने कविताओं के लिए शुरु किया था पर इस नए साला में लेख, आदि भी लिख्नने का सोच रही हूँ ।

Divine India ने कहा…

nav uthaan ka ye prayaas kitana
bhara-bhara sa hogaa dekhe is dehleez par aur kitno ko makaam
milpaayega--sunder abhivyakti tamaashaye jaashan na ho iss uthaan ka bani rahe ye barsh aise hi prayaas...tak.Good to see ur blog. Thanku

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